दुहन पब्लिक स्कूल की शुरूआत अप्रैल 2011 में इस सोच के साथ की गई कि बच्चों को गुणात्मक शिक्षा दी जाए। विद्यार्थी अंक प्राप्त करने के साथ-साथ अनुशासन प्रिय, वाकपटु, उद्यमी व नेतृत्व के गुण विकसित करें। वे समाज व परिवार के प्रति सहृदय रहें। वे न केवल किताबों से सीखे बल्कि रोजमर्रा की जिन्दगी से सबक लें। उनका ध्येय, अच्छे अंक पाकर एक अच्छी नौकरी तक सीमित न रहे बल्कि अपने हुनर को पहचान कर एक श्रेष्ठ व जिम्मेदार नागरिक बनना हो। हम चाहते हैं कि शिक्षा में ताजगी हो, डिब्बाबन्द न बनें। शिक्षा सकारात्मकता व मानवीय गुण स्वत: ही प्रदान करें उन्हे (बच्चों को) नैतिक शिक्षा पढानी न पड़े, पेपर न लेना पड़े बल्कि बच्चे सीखें। वे समाज में घट रही अच्छी घटनाओं से सीखें व बुराईयों के प्रति सचेत रहे व उन्हे देर करने में योगदान दें। वे बड़ों का, अतिथियों का सम्मान दिल से करें।
भारतीय इतिहास बड़ा गौरवमयी रहा है वे अपने इतिहास पर, संस्कारों पर, देश के महापुरूषों पर व ईश्वर प्रदत्त (परिवार, गाँव) चीजों पर गर्व महसूस करें। वे बाहरी चीजों अर्थात भौतिक साधनों पर लालायित न होकर अपने अंदरूनी खजाने को पहचारे स्वयं से प्यार करें, आत्मविश्वास व स्वाभिमान को बनाए रखें, हीन भावना व नकारात्मक विचारों को आस-पास न फटकने दें विश्वास रखें आप जो चाहे वो मुकाम हासिल कर सकते हैं जरूरत है एक शुरूआत, सच्ची लगन व मेहनत की। बच्चे । आत्ममंथन करना सिखाये व बुरी संगति व बुरे मार्ग से बचना सिखाए।
आज अभिभावकों के दायित्व भी बढ गए हैं। समय बदलता है, समाज का माहौल बदलता है तो शिक्षा के मायने भी त्व जाते हैं। अपनी शिक्षा को बच्चों की शिक्षा से तुलना न करें। बच्चों को अच्छी फीस, रूपये व भौतिक साधन की अपेक्षा आ समय की आवश्यकता है। आपके प्यार की आवश्यकता है, प्रशंसा की आवश्यकता है उनके उत्थान के लिए समय-2 पर अध्यक | अध्यापिका से मिले। उसके व उसके सम्पर्क में आने वाले लोगों के व्यवहार पर नजर रखें। उसे जागरूक करें कि वे आ खुलकर बातें कर सके। उसे मोबाइल व दूसरे इलैक्ट्रोनिक्स आइटम से दूर या 'समय-सीमा में उपयोग करने दें। बच्चों को घर में है स्कूल में दंडित करने / उकसाने की बजाय उसकी मानसिकता को समझे, उसे काम करने के लिए प्रोत्साहित करें।
हमारा ध्येय बच्चे का सर्वांगीण विकास करना है। इसके लिए हम प्रयासरत हैं व अभिभावकों के सुझाव समय-2 पर लेते हैं। सभी विषय प्रैक्टिल सहित करवाने की कोशिश करते हैं। बच्चों को प्रोत्साहन के साथ-2 प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, स्टेज कार्यक्रम व खेलकूद भी उपलब्ध करवाते हैं। बच्चे अपना ज्यादा से ज्यादा समय किताब पढ़ने में बिताए इसके लिए लाइब्रेरी में प्रतिमाह पत्र-पत्रिकाएँ, अखबार शामिल करते है व उन्हे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
श्रीमती संतोष मलिक
सचिव (विभागाध्यक्ष, हिन्दी)
25+ वर्ष का अनुभव